एक एहसास लाया यादों की बौछार
ना जाने वो क्या एहसास था ।
अंजाना होते हुए भी कुछ ख़ास था ।।
खो गए हम उन एहसासों की महफ़िल में ।
जब जगह ढूंढ रहे थे वह हमारे दिल में ।।
भरा पड़ा था मोहल्ला दिल की महफ़िल में ।
आ गए आसुँ हमारी आँखों से उनके बारे में जान के ।।
घुस पड़े उस भरे मोहल्ले में लेकर नन्ही से आशा ।
के मिल जाए जगह बराबर एक बताशा ।।
आशा की प्यास तोह बुजनी ही थी ।
दिल में थोड़ी सी जगह तोह मिलनी ही थी ।।
मिल गया एक छोटा सा स्थान ।
रख लिया दिल ने भी हमारा मान ।।
कुछ वक़्त गुज़रा तब याद आया ।
यह तो वो दुनिया नहीं जहां मै आया ।।
वो थी तो हसीन, और हमारी महजबीं ।
यूँ तो हम थे बहोत ठीक, पर फिर भी थी कुछ कमी।।
बस इस एहसास की बातों मे ।
हम खो गए उनकी यादों में ।।
अब बस हम और उनकी यादें है ।
और कुछ टूटे हुए ख्वाब है।।
उस एक एहसास के चक्कर में
डूब गए थे हम यादों की बौछार में ।।
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