नए आशियाने की तलाश !!
निकल पड़ा था किसी नए आशियाने की खोज में
,
अंजानी सी राह और अंजाना सा सफर
,
क्या पता था किस
किस से मिलने वाले
थे
और क्या होगा उसका असर
,
नए आशियाने की तलाश को क्या लग गयी थी
किसी की नज़र
….
कोई कहता अपने को दोस्त तो कोई समझता पराया
,
जैसे हमने रखा था उनके लिए कुछ सजाया,
पर ना जाने क्या था लिखा किस्मत ने खड़े
- खड़े,
दिखने में तो सभी लगते थे अपने
,
जब भी उनके करीब जाओ तो हो जाते थे सपने
….
जो भी आता था
, वह हमे एक बार तो आज़मा जाता
,
जाने अनजाने में हम कर जाते उन लम्हों से गुज़ारिश,
पर किसे पूछते थे ये नसीब के पन्ने
, करने के पहले कोई प्यारी सी साजिश
….
कभी सोचा न था ये नयी खोज हमें चटाएगी ऐसी धूल
,
नए आशियाने की खोज ही हमे लगने लगेगी भूल
?
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