शिक्षक (Teacher)

अँधेरी रात में रौशनी फैलाते है 
दिया बनकर स्वयं जल जाते है 
खून पसीना एक कर हमे सब समझाते है 
इसीलिए तो ये बड़े आदर से शिक्षक का दर्जा पाते है 

शैतानियां सहन कर जाते है 
गलतियां करो तो डांट कर क्षमा भी कर देते है 
मार्गदर्शन भी हमारा यही तो करते है 
इसीलिए तो ये बड़े चाव से शिक्षक कहलाना फरमाते है 

शिक्षा की शुरुवात तो घर से ही हो जाती है 
प्रत्येक मनुष्य की माँ ही पहली शिक्षक बन जाती है 
पापा की डांट में प्रेम और मम्मा का आँचल पाठशाला बन जाता है 
इसीलिए तो एक शिक्षक होना गर्व की बात कहलाता है 



गुरु का आशीर्वाद बड़े ही सौभाग्य की बात है 
ये तो अपने अपने नसीब का स्वाद है 
गुरु वो जो नफरत छुड़वाकर प्यार की शिक्षा दे जाए
इसीलिए तो शिक्षक उम्मीदों के द्वार खोल जाए 

ना जाने आज कल के लोगों को हुआ क्या है 
शिक्षक बनने का ध्येय लगाओ तो ताने मारते है 
बुधु लोग इतना भी न समझ पाए 
शिक्षक का प्रभाव ही था जिस कारण वो इस मुकाम पर पहुँच पाए 

शिक्षक का कोई चेहरा नहीं होता, ना होता है कोई नाम 
अपने कर्मों के बल पर देते है दूसरों के सपनों को अंजाम 
बेनाम होते हुए भी दिल जीत जाते है 
सिर्फ श्यामपट और चाक के बल बूते पर दुनिया बदल जाते है

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