यादें


याद आते है वह स्कूल के दिन,
ना जाते थे स्कूल दोस्तों के बिन  |
कैसी वह दोस्ती थी कैसा था वह प्यार,
एक दिन की जुदाई से डरते थे जब आता था शनिवार  ||

चलते चलते पत्थरों में मारते थे ठोकर,
कभी हस्ते गाते तो कभी चलते थे रोकर  |
कन्धों में किताब लिए हाथ में बोतल पानी,
किसे पता था बचपन की दोस्ती को भुला देगी जवानी  ||


याद आते है वह स्याही से रंगे हाथ ,
क्या दिन थे वह जब करते थे लंच साथ  |
छुट्टी की घंटी सुनते ही, वह भाग के कमरे से बाहर आना,
फिर हस्ते हसते दोस्तों से मिल जाना  ||

काश वह दोस्त आज भी मिल जाते,
दिल में फिर से बचपन के फूल खिल जाते  ||


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