खुशियाँ चारो ओर है, बस नज़रिये की कमी है
खुशियाँ चारो ओर है , बस नज़रिये की कमी है, मानो तो छोटी सी हँसी और ना मनो तो दौलत में भी नहीं। बेचैन सी इस दुनिया में कभी, वक़्त अपने लिए निकाल के देखो, दो पल सुकून के कभी अपने लिए बिता के देखो, हलकी सी एक आहट सुनो , दरवाज़े पे तुम्हारे, खुशियाँ बाहे फैलाये खडी है, चौखट पे तुम्हारे, माथे से चिंता की रेखा हटा के, कभी खुशियों के पास जाया करो , खुशियां तो चारो ओर है फायदा तो उठाया करो, कभी किसी का सहारा बनके, तो कभी किसी की मदद करके, थोडा सा खुद मुस्कुराके, थोडा सा दुसरो को हँसा के, छोटी छोटी चीजों में ढूंढ के तो देखो, नजरिया बदल के कभी, इस दुनिया को खुशियों से देखो , क्योंकि खुशियाँ चारो ओर है, बस नज़रिये की कमी है।।